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डॉ० रामबली मिश्र कृत सवैया तरना भव सागर से करना, हर सुंदर काम रहे मन में। शुभ मानव भाव पिलाय चलो, अति व्यापक रूप रहे तन में। शिव वाण चले मनमोहन ...